google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 ओजस्वी व्यक्तित्व

ओजस्वी व्यक्तित्व

ओजस्वी व्यक्तित्व
व्यक्तित्व का तात्पर्य व्यक्ति की विशेषताओं और उसके रूप-रंग से है; जैसे कि सोचने का तरीका, अनुभूति, व्यवहार, संप्रेषण योग्यता और शारीरिक वैशिष्ट्य अर्थात् शकल-सूरत। एक बच्चे को व्यक्तित्व के अनेक गुण अपने माता-पिता से विरासत में मिलते हैं। व्यक्ति के व्यक्तित्व की मूल रचना बाल्यकाल की प्रारंभिक अवधि में ही हो जाती है। परिवार और समाज में उसके अनुभव बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। दोस्तों, अध्यापकों और स्कूल के वातावरण का भी सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चे का पालन-पोषण करते समय वयस्कों को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि बच्चे की मनोवृत्ति पर पड़े गहरे निशान हमेशा के लिए बने रह सकते हैं। बच्चे के अंदर सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए माता-पिता को एक-दूसरे के साथ सकारात्मक व्यवहार करना चाहिए।
अच्छा प्रशिक्षण मिलने पर कोई भी बच्चा या वयस्क विचार-विनिमय अर्थात् संप्रेषण की चतुराई और विभिन्न विषयों को सीख सकता है, जैसे कि गाड़ी या कंप्यूटर चलाना। इसी तरह, पर्सनैलिटी डेवलपमेंट में प्रशिक्षण प्राप्त करने से किसी भी व्यक्ति के सामान्य और अद्वितीय गुणों (विशेषताएँ-जो एक को दूसरे से अलग करती हैं) में वृद्धि हो जाती है। पर्सनैलिटी डेवलपमेंट का शिक्षक एक व्यक्ति को सकारात्मक सोच का ढंग अपनाने, आत्मविश्वास प्राप्त करने, व्यवहार में सुधार करने, बेहतर संप्रेषण सीखने और एक स्वस्थ शरीर का विकास करने में उसकी मदद करता है।
एक आकर्षक व्यक्तित्व से हर कोई प्रभावित होता है और दूसरों को प्रभावित किए बिना आप आज के इस प्रतियोगी संसार में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए पर्सनैलिटी डेवलपमेंट का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ गया है। इन दिनों हर अच्छा पब्लिक स्कूल अपने छात्रों के पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के बारे में सतर्क रहता है। कुछ वर्ष पहले तक भारत में पर्सनैलिटी डेवलपमेंट को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता था। केवल बाहरी शक्ल-सूरत और काम में निपुणता पर जोर दिया जाता था। लेकिन अब समय बदल गया है। यह स्पर्धा और आर्थिक क्रांति का युग है। हालाँकि प्रगति के अवसर सर्वत्र हैं, फिर भी एक छात्र को प्रभावशाली जीविका की सीढियाँ चढ़ने के लिए बहुत कठोर परिश्रम करना
पड़ता है। एक अच्छा व्यक्तित्व रखनेवाला व्यक्ति अधिक विश्वास के साथ कठिनाइयों को पार कर सकता है।
बहुत से लोग अभी तक यह सोचते हैं कि व्यक्तित्व का संबंध व्यक्ति के शारीरिक बनाव-ठनाव से है। अगर कोई व्यक्ति तंदुरुस्त हो और बढिया कपड़े पहने हुए हो तो कहा जाता है कि उस पुरुष/महिला का व्यक्तित्व बढ़िया है; लेकिन यह कोई विवेकपूर्ण दृष्टिकोण नहीं है। यदि व्यक्ति का आंतरिक व्यक्तित्व कमजोर हो तो उसके बोलने या उसके व्यवहार से जल्दी ही उसकी असलियत खुल जाएगी। ऐसा व्यक्ति दूसरों पर कोई अमिट छाप नहीं छोड़ सकता। जीविका की सीढ़ी पर ऊपर चढ़ना बहुत कठिन कार्य हो जाता है। अत: किसी भी व्यक्ति को अंदरूनी और बाहरी दोनों व्यक्तित्वों को सुदृढ़ किया जाना चाहिए।
आप व्यक्तित्व सुधार सकते हैं
अपनी सर्वाधिक बिकनेवाली पुस्तक 'बॉर्न टू विन' में विख्यात मनोवैज्ञानिक मुरील तथा डोरोथी ने लिखा है कि मनुष्य मूलत: सफल होने के लिए जन्म लेता है, लेकिन अनदेखी या उपेक्षा के कारण हमारी जीतने की क्षमता का उच्चतम स्तर तक विकास नहीं हो पाता है। अधिकतर लोग अपना व्यक्तित्व दूसरों की अपेक्षा के अनुसार विकसित करते हैं और इसी कारण वे अपनी अनोखी विशेषताओं को चमकाने में असमर्थ रहते हैं। अत: जरूरत है इस बात की कि हम रुकावट को हटाएँ और अपनी मौलिकता एवं अपने निरालेपन के साथ साहस से आगे बढ़ें। केवल तभी कोई एक साधारण व्यक्तित्व को एक प्रभावशाली व्यक्तित्व में परिवर्तित कर सकता है।
पहले यह समझा जाता था कि हर व्यक्ति अपना पूरा जीवन बाल्यकाल में रची गई व्यक्तित्व गाथा के अनुसार जीता है। उसको बदलना असंभव था। लेकिन अनेक वर्षों की खोज और व्यावहारिक प्रयोगों के आधार पर मनुष्य ने व्यक्तित्व परिवर्तन के विज्ञान में काफी तरक्की की है। अब सरल विधियों की मदद से कोई भी एक प्रभावी व्यक्तित्व विकसित कर सकता है और अपना वर्तमान बदल सकता है। आपके व्यक्तित्व को प्रभावी स्वरूप में ढालने के सात साधारण उपाय इस
प्रकार हैं
1. जीवन में एक लक्ष्य निश्चित करें
अगर आप जीवन की नौका में सवार हैं और आपको अपनी मंजिल का पता नहीं है तो आप परिस्थितियों तथा दूसरे लोगों के गुलाम बन जाएँगे। आपकी प्रगति या आपका विकास पूरी तरह आपके भाग्य पर निर्भर रहेगा। हालात की हवा नौका को किसी भी दिशा में धकेल देगी। आपका किसी चीज पर कोई नियंत्रण नहीं होगा और आप शायद ही अपनी इच्छा से कुछ कर पाएंगे। यह भी हो सकता है कि दूसरे लोगों द्वारा आप पर थोपी गई स्पर्धा के नीचे आप दबकर रह जाएँ। इस स्थिति को बदलने के लिए आवश्यक है कि अपने जीवन में आप एक लक्ष्य निर्धारित करें। यह सच है कि एक व्यक्ति अपने जीवन में कोई लक्ष्य रखता है, लेकिन मुख्य लक्ष्य के बारे में निर्णय करने के लिए अच्छी प्रगति करना अनिवार्य है। जब आप कोई लक्ष्य निश्चित कर लेते हैं, वह एक गंतव्य जैसा हो जाता है-वहाँ पहुँचने का मार्ग आप चुन सकते हैं, कार्य-योजना बना सकते हैं और मंजिल तक तेजी से पहुँचने के लिए नीति निर्धारित कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति के व्यक्तित्व में स्वत: चमत्कारिक प्रभाव जाता है, जो उसके प्रेरक बल से उत्पन्न होता है।
2. ज्ञान की शक्ति
ज्ञान का दूसरा नाम है शक्ति। कोई भी उस व्यक्ति से प्रभावित नहीं होता है, जिसे इतना भी पता हो कि आस-पास या संसार में क्या हो रहा है। उसे मूर्ख समझा जाता है, ऐसा मूर्ख जिसे कोई भी समझदार पुरुष या स्त्री मित्र बनाना या उसका अनुसरण करना नहीं चाहेगा। अत: अपने सामान्य ज्ञान को समृद्ध करना आवश्यक है और आपको उस विषय का विशेषज्ञ होना चाहिए, जिस क्षेत्र में आप काम कर रहे हैं। अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाने के उद्देश्य से अखबार पढ़ें, टी.वी. पर ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देखें, अच्छी और लोकप्रिय पुस्तकें पढ़ें, जानकार एवं बुद्धिमान लोगों के साथ विचार-विमर्श (संबंध बनाएँ, संप्रेषण) करें।
3. आत्मविश्वासपूर्ण दिखें
आपके चेहरे पर आत्मविश्वास का भाव हर एक को प्रभावित करता है। अगर आप अपने चेहरे पर विफलता और निराशा का भाव लिये फिरेंगे तो लोग आपसे दूर रहेंगे। अगर आपको जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और आप चिंताग्रस्त हैं, तब भी आपकी सोच और आपके चेहरे का भाव सकारात्मक होना चाहिए। दूसरों के साथ मजबूती से हाथ मिलाएँ। हाथ मिलाते हुए या बात करते समय दृष्टि संपर्क बनाए रखें। कम बोलें और निश्चय
के साथ बोलें। इन सरल उपायों से आप अपना आत्मविश्वास बनाए रख सकेंगे। आत्मविश्वास से भरे होकर आप केवल बड़ी-बड़ी कठिनाइयों को पार कर सकेंगे, बल्कि साक्षात्कार मंडल (इंटरव्यू बोड) को भी प्रभावित कर पाएंगे।
4. बोलने का विशेष ढंग अपनाएँ
अधिकतर सफल व्यक्तियों के बोलने की अपनी एक विशिष्ट शैली होती है। वे स्पष्ट और प्रभावपूर्ण ढंग से बोलते हैं। ध्यान रहे कि आप जिस भाषा में बोलते हैं उस पर आपको पूरा अधिकार होना चाहिए-अर्थात् उस भाषा पर पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। व्याकरण संबंधी त्रुटियाँ करें, अन्यथा लोग आपका मजाक उड़ाएंगे। यदि जरूरी हो तो किसी अच्छे संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करें। अपने उच्चारण पर अधिक ध्यान दें। वाक्-शक्ति अर्थात् वक्तृत्व-कला किसी भी अच्छे व्यक्तित्व का एक अनिवार्य गुण है।
5. बन-ठनकर रहें
अच्छे ढंग के कपड़े पहने व्यक्ति की हर जगह सराहना होती है। किसी भी क्षेत्र, जैसे कि विपणन, व्यापार, चलचित्र, समाचार माध्यम आदि में सफल लोगों को देखकर आप इस नतीजे पर पहुंचेंगे कि लगभग प्रत्येक क्षेत्र में अधिकतर सफल व्यक्तियों को बढिया वस्त्र पहनने का बहुत चाव होता है। अच्छे कपड़े पहनने से व्यक्ति में चुस्ती-फुरती का एहसास होता है। वह अधिक आत्मविश्वासपूर्ण
और तनावमुक्त महसूस करता है। उसके चेहरे पर खुशी की चमक रहती है। उसके हाथ मिलाने में अधिक विश्वास झलकता है। घटिया कपड़े पहनने से हमेशा हीन-भावना पनपती है। कोई अच्छी कंपनी आजकल ऐसे व्यक्ति को नौकरी नहीं देती है, जिसे कपड़े पहनने का सलीका आता हो।
6. स्वस्थ शरीर
किसी--किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को दूसरों की दया तो मिल सकती है, लेकिन वह व्यक्ति लंबे समय तक अपने व्यक्तित्व में आकर्षण बनाए नहीं रख सकेगा। दूसरों को आकृष्ट करने के लिए स्वस्थ और चुस्त-दुरुस्त शरीर का होना नितांत अनिवार्य है। अगर आप शरीर को भला-चंगा, आकर्षक बनाने के लिए प्रयास करें तो अवश्य ही उसमें सफल हो सकते हैं। नियमित रूप से व्यायाम
करें, खेलों में हिस्सा लें या सुबह की सैर के लिए जाएँ। वही करें, जो आपके
शरीर और आपकी मनोवृत्ति के अनुकूल हो। संतुलित भोजन करें। इससे आपके शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता मजबूत होगी, आप स्वस्थ रहेंगे और काम करने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।
7. अच्छी आदतें
आमतौर पर हर आदमी की अपनी कुछ ठेठ आदतें होती हैं। आपकी भद्दी आदतें दूसरों के लिए परेशानी का कारण बन जाती हैं। फिर किस तरह आप उन्हें प्रभावित करेंगे? स्वच्छता, समय की पाबंदी, अपना काम समय पर समाप्त करना, काम के प्रति ईमानदारी और निष्ठा, दूसरों की बात धैर्यपूर्वक सुनना, धूम्रपान और शराबखोरी से दूर रहना। ये कुछ ऐसी अच्छी आदतें हैं, जो आपके व्यक्तित्व
को निखार देती हैं और उसे अधिक ओजस्वी बनाती हैं। आप लोगों के चहेते बन जाते हैं।
दूसरों के साथ व्यवहार में भी आपको मैत्रीभाव एवं नम्रता से पेश आना चाहिए। घमंडी बनकर आप किसी को भी प्रभावित नहीं कर सकेंगे। अगर आपकी मौजूदगी में लोगों को परेशानी महसूस होती है तो यह एक संकेत है कि आपको अपना व्यवहार सुधारने की जरूरत है। लोगों को आपके पास आते समय या आपसे बात करते समय सहजता का अनुभव होना चाहिए।
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