google.com, pub-9828067445459277, DIRECT, f08c47fec0942fa0 कक्षा -10 हिन्दी अनिवार्य नेताजी का चश्मा - लेखक:स्वयंप्रकाश हिन्दी गद्य खण्ड भाग - 1 |Smile 3.0 Home work Date:- 08 सितम्बर 2021

कक्षा -10 हिन्दी अनिवार्य नेताजी का चश्मा - लेखक:स्वयंप्रकाश हिन्दी गद्य खण्ड भाग - 1 |Smile 3.0 Home work Date:- 08 सितम्बर 2021

कक्षा -10 हिन्दी अनिवार्य

नेताजी का चश्मा - लेखक:स्वयंप्रकाश

हिन्दी गद्य खण्ड भाग - 1

जीवन परिचय-

  • स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार व गद्यकार हैं।
  •  जन्म सन् 1947 में मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में हुआ।
  • उन्होंने अपना बचपन राजस्थान में व्यतीत किया।
  • आरंभिक अध्ययन पूरा करके मैकेनिकल इजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की और एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने लगे।
  • उनके जीवन का अधिकांश समय राजस्थान में व्यतीत हुआ।
  •  कालांतर में अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त होकर वे भोपाल चले आए।
  • आजकल वे यहीं पर जीवन यापन कर रहे हैं और वसधानामक पत्रिका का संपादन कर रहे हैं। पहल सम्मानवनमाली पुरस्कार तथा राजस्थान अकादमी पुरस्कार से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।

साहित्यक रचनाएँ-
स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार हैं। उनके 13 कहानी-संग्रह तथा पाँच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें उल्लेखनीय रचनाएँ हैं-
कहानी संग्रह- सूरज कब निकलेगा’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमीऔर संधानउल्लेखनीय हैं।
प्रमुख उपन्यास- बीच में विनय, ईंधन।         

साहित्यिक विशेषताएँ-
स्वयं प्रकाश सामाजिक जीवन के कुशल चितेरे माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों में वर्ग शोषण की समस्या को उठाया है। वे शोषकों तथा पूंजीपतियों के अत्याचारों का वर्णन करते हुए सर्वहारा वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं अपनी कुछ कहानियों में स्वयं प्रकाश कसबाई बोध का बड़ा ही सजीव वर्णन करते हैं। उन्होंने जातीय भेदभाव का विरोध करते हुए कहानियाँ लिखी हैं। देशभक्ति की नारेबाजी के स्थान पर वे सामान्य मानव के आचरण में वे देश प्रेम को देखना चाहते हैं उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक तथा राजनैतिक समस्याओं को भी उठाया है।

भाषा-शैली-

  • लेखक एवं प्रकाश की भाषा शैली सरल और सहज है।
  • लेखक ने तत्सम, तद्भव, उर्दूफारसी और अंग्रेजी के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है।

 

नेताजी का चश्मा कहानी का सार 



 नेताजी का चश्मा कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में हालदार साहब अपनी कंपनी के कार्य से हर 15 दिन में एक बार एक कस्बे से गुजरते थे। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। उस कस्बे की नगरपालिका ने शहर के मुख्य बाजार के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा रखी थी।  यह प्रतिमा उस कस्बे के हाई स्कूल के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल द्वारा बनाई गई थी।  मूर्ति वैसे तो सुंदर थी किंतु चश्मा संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य से चश्मे का चौड़ा फ्रेम मूर्ति को पहना दिया जाता था। हालदार साहब को यह तरीका पसंद आया। दूसरी बार जब  वह उस कस्बे से गुजरे तो मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया। ध्यान से देखने से पता लगा कि नेता जी के मूर्ति का चश्मा बदल गया है। हालदार साहब हर बार कस्बे के चौराहे पर रुककर पान खाते थे और उस मूर्ति को देखते थे, फिर चले जाते थे।

एक बार उन्होंने पान वाले से बार-बार चश्मे बदलने का कारण पूछ लिया। पान वाले ने हालदार साहब को बताया कि एक बूढ़ा लंगड़ा चश्मे वाला नेताजी का चश्मा पहना जाता है। उस चश्मे वाले को लोग कैप्टन कहते हैं।  यूं ही यह सिलसिला साल तक चलता रहा और नेताजी का चश्मा बदलता रहा। अगली बार नेताजी का चश्मा नहीं था पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया। अगली बार हलदर साहब ने उस कस्बे मैं रुक कर पान खाने का इरादा टाल दिया। इस बार हालदार साहब जब उस कस्बे से गुजर रहे थे तो उनका ध्यान नेता जी की मूर्ति की तरफ गया। नेताजी की प्रतिमा पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था । यह देखकर हालदार साहब की आंखें भर आई क्योंकि उन्हें इस बात का संतोष था कि आने वाली पीढ़ी भी अपने स्वतंत्रता सेनानियों का आदर करती है।

Smile 3.0 Home work Date:- 08 सितम्बर 2021

Q.1. नेताजी का चश्मा कहानी में किसके चश्में के बारे में बताया ?

उत्तर- नेता जी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा बहुत सुन्दर बन पड़ी थी ,लेकिन मूर्तिकार प्रतिमा में नेताजी की आँखों पर चश्मा लगाना भूल गया था .

Q.2.स्वयं प्रकाश के व्यक्तित्व  एवं कृतित्व  के बारे में संक्षिप्त में बताइये।

उत्तर- स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार व गद्यकार हैं। जन्म सन् 1947 में मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में हुआ। उन्होंने अपना बचपन राजस्थान में व्यतीत किया। कालांतर में अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त होकर वे भोपाल चले आए। आजकल वे यहीं पर जीवन यापन कर रहे हैं और वसधानामक पत्रिका का संपादन कर रहे हैं। पहल सम्मानवनमाली पुरस्कार तथा राजस्थान अकादमी पुरस्कार से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।

साहित्यक रचनाएँ-
स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार हैं। उनके 13 कहानी-संग्रह तथा पाँच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें उल्लेखनीय रचनाएँ हैं-
कहानी संग्रह- सूरज कब निकलेगा’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमीऔर संधानउल्लेखनीय हैं।
प्रमुख उपन्यास- बीच में विनय, ईंधन। 

 

Q.3. नेताजी का चश्मा कहानी में आए हुए कठिन शब्दार्थ कमसिन का क्या अर्थ है?

उत्तर- नेताजी का चश्मा कहानी में आए हुए कठिन शब्दार्थ कमसिन का अर्थ है -कम उम्र का

 Q.4. हालदार साहब की क्या  आदत थी ?

उत्तर- हालदार साहब को चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखने की आदत पड़ गई थी। हालदार साहब को कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को उस कस्बे के मुख्य बाज़ार के चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखने की आदत पड़ गई थी। हालदार साहब अत्यंत भावुक, संवेदनशील तथा देशभक्त व्यक्ति थे

Q.5. कहानी में आए हुए दरकार शब्द का क्या  अर्थ है?

उत्तर- ज़रुरी; आवश्यकता; प्रभावपूर्ण इच्छा; अभिलाषा; कामना।

 

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