REET का लेवल-2 एग्जाम रद्द हो गया है। करीब साढ़े चार महीने पहले जब एग्जाम हुआ था, तब से लेकर आज तक ये सरकार के लिए सिर दर्द बना हुआ था। गहलोत ने बीमारी का ‘इलाज’ करने की कोशिश की है। अब बड़ा सवाल ये है कि इससे सरकार की जो इमेज खराब हुई है, वो कितनी सुधरेगी?
गहलोत ने केंद्र और अन्य राज्यों में इसी तरह पेपर लीक होने का तर्क दिया है। विपक्षी दलों के पेपर आउट ‘गैंग’ में शामिल होने को लेकर कई सवाल उठाए हैं। कई सारे सवालों के बीच एक बात स्पष्ट है कि अगर सही समय पर दोबारा परीक्षा होती है और नियुक्तियां मिल जाती हैं, तो सरकार की छवि बन सकती है। अन्यथा 2023 का बड़ा नुकसान भी इसमें ही छुपा है। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के उन पर और मंत्री सुभाष गर्ग पर लग रहे आरोपों को लेकर राजनीतिक संन्यास के दावे के दांव को लेकर भी कई तरह की सियासी चर्चाएं चल पड़ी हैं।
REET को लेकर उठे महत्वपूर्ण सवाल
1. क्या REET लेवल-2 को रद्द करने का फैसला सही है?
हां। पेपर लीक हो चुका था। ऐसे में एग्जाम रद्द होने से मेहनत करने वालों के साथ न्याय हुआ है। सरकार पेपर लीक रोकने के लिए आगे कानून लाने की बात कर रही है। ये भी अच्छा कदम हो सकता है। आगामी एग्जाम कितने पारदर्शी होंगे, उस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
2. क्या इस फैसले से अभ्यर्थी संतुष्ट होंगे?
दो पक्ष हैं। एग्जाम में सफल हो चुके अभ्यर्थी नाराज हैं। 90% अभ्यर्थी इससे खुश हैं, क्योंकि उन्हें एक मौका और मिल जाएगा। समय भी मिल जाएगा। पदों की संख्या बढ़कर 62 हजार होना भी राहत भरा होगा। परीक्षा दो चरणों में होने से नाराजगी संभव है। सरकार ने REET लेवल वन के पेपर को लीक नहीं माना है। 15 हजार पदों पर लेवल-1 के अभ्यर्थियों को पुरानी परीक्षा के आधार पर ही नियुक्ति दी जा सकती है।
3. क्या सरकार ने 62 हजार पद बढ़ाए हैं?
नहीं। सरकार ने घोषणा की है कि 62 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी। इन पदों का आसान शब्दों में गणित समझते हैं। सरकार ने REET-2021 में 32 हजार पदों पर भर्ती निकाली थी, जिसमें लेवल 1 के 15 हजार 500 और लेवल 2 के 16 हजार 500 पद शामिल थे। इसके अलावा सरकार ने कुछ समय पहले घोषणा की थी कि REET-2022 के जरिए 20 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी। 32 हजार और 20 हजार पदों को मिलाएं तो 52 हजार होते हैं। ऐसे में सरकार ने 10 हजार पद बढ़ाकर युवाओं का गुस्सा शांत करने की कोशिश की है।
4. क्या सरकार का विरोध खत्म हो जाएगा?
- REET परीक्षा के लेवल 2 का पेपर रद्द करने के साथ पद बढ़ाए जाने से विरोध कुछ हद तक कम होगा, लेकिन एग्जाम की डेट और भर्तियों पर काफी कुछ डिपेंड करेगा।
- REET अब सिर्फ पात्रता परीक्षा ही रह जाएगी। इसमें शामिल होने वाले आजीवन ग्रेड थर्ड शिक्षकों की नियुक्ति के लिए होने वाली परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। इस तरह अभ्यर्थियों को बार-बार एग्जाम से राहत मिल सकेगी।
5. क्या गोविंद सिंह डोटासरा और सुभाष गर्ग को अब नहीं घेरा जाएगा ?
विपक्ष शुरू से इस मामले को लेकर आक्रामक हैं। ऐसे में धांधली में बड़ी मछलियों को बचाने की बात की जाएगी। फिलहाल विरोध खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं और यह मुद्दा 2023 के विधानसभा चुनाव तक गर्म रहेगा।
6. क्या REET को लेकर सभी सवाल खत्म हो गए?
नहीं। अभी भी ये सबसे बड़ा सवाल है कि सरकार फीस में छूट देगी या नहीं। पात्रता परीक्षा के लिए यदि फीस देनी पड़ती तो 16 लाख स्टूडेंट के 100 करोड़ से ज्यादा का खर्च आएगा।
7. क्या विपक्ष के पास मुद्दा खत्म हो गया?
नहीं। विपक्षी दल सरकार को घेरेंगे। साथ ही, ये बताने की कोशिश करेंगे कि असली किरदारों को बचाने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है। दो एग्जाम का विरोध कर इमोशनल कार्ड भी खेला जा सकता है।
8. क्या परीक्षा रद्द करने से सरकार के पक्ष में माहौल बनेगा?
एग्जाम होने के बाद पेपर लीक साबित होने के बाद सरकार ने फैसला करने में समय लगा दिया, अगर ये समय पर होता तो इसका फायदा ज्यादा मिलता। बोर्ड अध्यक्ष की बर्खास्तगी के साथ ही पेपर लीक कांड के आरोपी के कॉलेज-स्कूल की इमारत ध्वस्त कर सरकार ने कड़ा संदेश दिया है। इसे पार्टी अपने पक्ष में भुनाएगी। दूसरा, सरकार इसी साल में REET का एग्जाम कराकर चुनावी साल से पहले ही नियुक्ति की कोशिश करेगी।
9. इस पूरे मामले में नुकसान क्या हुआ?
इसे 3 तरह से समझ सकते हैं
1. सरकार की छवि प्रभावित हुई। परीक्षा एजेंसियों की साख पर सवाल उठे।
2. अभ्यर्थी को अब इस भर्ती प्रक्रिया के पूरे होने के लिए करीब 1 साल का इंतजार करना पड़ेगा। 2017-18 के बाद REET हुई थी। सफल स्टूडेंट को मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ेगा।
3. आर्थिक नुकसान के साथ जनता की परेशानी। एग्जाम के दौरान जनता ने दो दिन नेटबंदी सहित कई परेशानियों को देखा था। ऐसा फिर होगा।
10. सरकार के सामने अब क्या चुनौती होगी?
47 हजार पदों को लेकर अभ्यर्थियों में उत्साह जरूर है , लेकिन नए सिरे से वापस परीक्षा कराना और लाखों अभ्यर्थियों को निष्पक्ष तरीके से बैठाना भी बड़ी चुनौती होगी। सरकार की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। आगामी परीक्षा का संचालन किस प्रकार से किया जाए, ताकि स्टूडेंट के हितों की रक्षा हो।