Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी पर क्यों लगता है बासी खाने का भोग? जानें यह पौराणिक मान्यता
हमारे हिंदू धर्म परंपराओं में यूं तो सभी
त्यौहारों का बहुत महत्व है, लेकिन इनमे से
शीतला अष्टमी का त्यौहार सबसे खास और महत्वपूर्ण त्यौहार माना गया है. माना जाता है कि इस दिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला सप्तमी या अष्टमी पर घर
में ताजा भोजन नहीं बनाया जाता। इस दिन ठंडा खाना खाने की परंपरा है। इसीलिए शीतला
देवी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाते हैं। इसी कारण उत्तर
भारत में शीतला सप्तमी या अष्टमी के इस व्रत को बास्योड़ा कहते हैं।
शीतला माता की
पूजा और आराधना करने से चिकन पॉक्स, स्माल पॉक्स, मीजिल्स जैसे
कई बीमारियां आपको स्पर्श भी नहीं कर पाती है. महिलाए ये पूजा खासकर अपने बच्चो के
लिए करती है. तो आइए शीतला माता की पूजा के लिए इसके पीछे की पौराणिक कथा प्रस्तुत
करने जा रहे है. जिसे पढ़े बिना आपकी पूजा अधूरी रहती है.
शीतला माता की कहानी
मां शीतला को रास्ते
में एक कुम्हार परिवार की महिला मिली। उस महिला ने जैसे ही उन्हें देखा वैसे ही
उन्हें घर में बुलाकर ठंडे पानी डाला। ऐसे में मां की पीड़ा कुछ कम हुई। तब माता
ने उस महिला से खाने के लिए कुछ मांगा। ऐसे में महिला ने कहा कि मेरे पास तो रात
के बचे दही और ज्वार की रबड़ी ही है, तो उन्होंने उसे ही खाया। ऐसे में
उन्हें अंदर से शीतलता मिली। इसके बाद कुम्हारिन ने माता से कहा कि आपके बाल काफी
बिखरे हुए है लाओ इन्हें में संवार देती हूं। ऐसे में जब वो महिला मां के बाल
संवार रही थी तभी उसे मां के सिर में तीसरी आंख दिखी। जिसे देखकर कुम्हारिन
भयभीत होकर भागने लगी। ऐसे में मां ने कहा कि पुत्री भागों मत मैं शीतला मां
हूं और पृथ्वी में भ्रमण के लिए निकली हूं। कुम्हारिन ने जैसे ही इस बात को सुना
वो भाव विभोर हो गई है और मां के सामने झुक गई और कहां कि मेरे घर में ऐसा कुछ
नहीं है कि मैं आपको बिछा सकु। ऐसे में मां मुस्करा कर कुम्हारिन के घर में मौजूद
गधे में बैठ गई।
कुम्हारिन
का निस्वार्थ भाव से प्रसन्न होकर माता ने उसे वर मांगने के लिए कहा, तो उसने मां से कहा कि आप हमेशा इसी गांव में निवास करें। इसके साथ
ही जो व्यक्ति चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को आपकी पूजा
करने के साथ बासी भोजन का भोग लगाएगा। उसे हर बीमारी से निजात मिलने के साथ
सुख-समृद्धि प्राप्त हो। माता शीतला ने कहा कि ऐसा ही होगा।
इसी कारण हर साल मां
को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है , जिससे व्यक्ति के घर में मौजूद हर सदस्य
रोग, दोष और भय से दूर रहें।